Monday, February 25, 2013

प्रयाग यात्रा


स्वर्ग तो चाहे फिर मिल जाए, ये संगम जाने मिले न मिले
अपने शहर रोहतक से 16 घंटे का सफर करके महाकुंभ की पावन धरती पाँव रखने का वो एहसास, अपने माता-पिता को उनके जीवन का पहला कुंभ स्नान करवाना, वो स्नान जिसे स्वर्ग का रास्ता कहा जाता है, अपने केस को दान करने का वो कर्म, ये सब करके कौन जाने धरती के बाद स्वर्ग मिलेगा या नहीं, मैं नहीं जनता, पर जब तक धरती पर है, ये सुकून तो मिलेगा कि हमने अपने धर्म के अनुसार एक अच्छा काम किया है और हम मरणोपरांत स्वर्ग की यात्रा करेंगे।
इस बारे मे कई बुद्धिजीवियों को कई बार चर्चा करते सुना है कि स्नान करके कैसे स्वर्ग जया जा सकता है। दरअसल क्या है जब किसी धर्म के कुछ लोग जब ज़्यादा पढ़ लिख कर अधिक ज्ञानवान हो जाते है तो फिर वो उसी धर्म पर उँगलियाँ उठाने लगते है। वो ज़्यादा व्यावहारिक हो जाते है, उन्हे लगता है राम बुरे पति थे। उन्हे लगता है कि राजा राम को अपनी प्रजा की बात न मान कर अपनी पत्नी को वरीयता देनी चाहिए थी। दरअसल, वो खुद अच्छे पति है न, राज्यसभा संसद है, काम कुछ है नहीं, जवाबदेही सिर्फ पत्नी कि तरफ, वो अच्छे शासक नहीं है, अच्छे पति है। राजा राम अच्छे शासक भी थे और अच्छे पति भी। जय श्री राम।
खैर, हम उनकी बात क्यूँ करे, हम बात करते है वहाँ के बंदोबस्त की। सारे बंदोबस्त बस्ते मे बंद थे, शायद कुंभ के बाद खोले जाएंगे। वहाँ लोगों की आस्था के अलावा बाकी सब बकवास था, चाहे वो उ.प्र. सरकार का 1800 करोड़ रुपये लगाकर महकुंभ सफल बनाने की बात थी, चाहे वो रेलो का किराया बढ़ा कर उनमे बेहतर सुविधाएं (जैसे कि रेलों एवं उसके शौचालयों की साफ सफाई, रेलों की गति बढ़ाना, स्टेशनों पर सुरक्षा चौकस करना, गाड़ियों को एलईटी न करने कि कवायद) प्रदान करने कि बात थी (शायद वो केवल राजधानियों और शताब्दियों के लिए ये सब कह रहे थे), चाहे गंगा-यमुना के पानी को साफ रखने के केंद्र व राजी के सरकारी दावे।
खैर, हम उनकी बात क्यूँ करे, पर हाँ, एक और बात अच्छी थी, कुंभ की देखरेख सौंपी गयी थी उ.प्र. के मंत्री मो. आज़म खान को। आज़म खान, जी हाँ, एक मुसलमान। हिंदुओं के सबसे बड़े पर्व की देख रेख कर रहे है एक मुसलमान। इलाहाबाद जंक्शन से लेकर संगम तट तक के सुरक्षा और अन्य सभी इंतजामों की ज़िम्मेदारी ली गयी थी माननीय आज़म भाई के द्वारा, शायद इसीलिए ज़्यादा हादसे नहीं हुये, ज़्यादा लोग नहीं मरे, पुलिस ने भी स्टेशनों पर पूरा सहयोग दिया। आज़म भाई को ये जिम्मा सौंपने की दो विपरीत वजहें हो सकती है। या तो ये कि इस देश मे मजहब जैसा कुछ नहीं है, हर इंसान हर चीज़ को समझता है। या फिर ये कि ये हिंदुस्तान है, यहाँ हर चीज़ के पीछे कोई खास सोच समझ नहीं होती, पर्ची पर नाम लिख कर फैंसले लिए जाते है। आप अपनी वजह चुन सकते है।
खैर, हम उनकी बात क्यूँ करे, हम बात करते है मेरी माताजी की जिनके लिए हर यात्रा यातना के बराबर होती है पर मैंने इस यात्रा के बाद देखा कि उनमे एक नया जोश और विश्वास था। जाने से पहले उन्होने अपनी सारी सहेलियों को नहीं बताया था कि वो प्रयाग मे महाकुंभ स्नान के लिए जा रही है क्यूंकी उनकी स्वीकृति अंतिम समय पर ही मिली थी क्यूंकी उन्हे दर था की कहीं ये लंबी यात्रा भी यातना न बन जाए। पर जब वहाँ से लौटने पर उन्होने अपने मंदिर की सारी भजन मंडली को प्रशाद और थोड़ा थोड़ा स्नागम का जल बांटना शुरू किया, तो वो आश्चर्यचकित हो गयी ये सुनकर कि उनकी सारी सहेलियाँ उनके साथ जाना चाहती थी, एक-दो तो लड़ने भी लग गयी के मुझे साथ क्यूँ नहीं लेकर गयी। यही हाल पिताजी के पड़ोसी दुकानदारो का भी था। उन्होने घर पर आके जब मुझे ये बताया तब मुझे एहसास हुआ कि कुछ अच्छा तो किया गया है मेरे द्वारा।
आप सभी से ये कहना है कि हो सके तो इन्ही बचे हुये दिनो मे आप भी पुण्य कमा आइए नहीं तो अगला कुंभ बारह साल बाद लगेगा। जय महाकुंभ।

Thursday, September 6, 2012

Aksar - अक्सर


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अक्सर ज़िंदगी मुझे पुकारा करती है
पर मैं उसे अनसुना कर देता हूँ
कभी मेरे सामने आके खड़ी भी हो जाती है
पर मैं उसे अनदेखा कर देता हूँ
फिर अक्सर मुझसे रूठ भी जाती है
पर मैं उसे अनमना कर देता हूँ
कभी सोचती है के मेरे दिल मे बस जाएगी
पर मैं उसे अनचाहा कर देता हूँ
बस यही है मेरी ज़िंदगी
जो मुझे छू भी जाती है तो 
मैं उसे अनछूआ कर देता हूँ

Wednesday, July 4, 2012

Another November:C.Way Version of A Wednesday


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साल है 2018...
ISeeAI के 4 पुराने प्रेसीडेंट को जेल हुए 5 साल हो चुके है।
उन पर आरोप है SeeA की परीक्षाओं मे ग़लत परिणाम घोषित करने का जिसकी वजह से हज़ारो मासूम
SeeA छात्रों  को खुदखुशी का रास्ता चुनना पड़ा। वो स्यूसाइड नहीं मर्डर थे ये सरकार को 3 ईडियट्स 
देखने के बाद महसूस हुआ।
और इसी बीच दिल्ली के ए.सी.पी. मक्कड़ साहब को ये फोन आता है।

मक्कड़ : हैलो।
अज्ञात : मक्कड़ साहब।
मक्कड़ : कौन?
अज्ञात : टोकिएगा नही सिर्फ़ सुनिएगा. मैने देश के चार अलग अलग SeeA exam centers मे बॉम्ब प्लांट किए है. और ये सब ठीक आधे घंटे बाद ब्लास्ट हो जाएँगे. लेकिन ये avoid हो सकते है।
मक्कड़ : क्या चाहिए तुम्हे?
अज्ञात : क़मरजीत खोपड़ा, खेद बैन, यू. पी छगरवाल और जी.गामानामी।
मक्कड़ : ये लोग कौन है?
अज्ञात : ये वो लोग है जिन्होने अपनी इज़्ज़त के लिए हज़ारो SeeA छात्रों की जान लेली. आप इन्हे इकट्ठा  करीए, मैं 10 मिनट के बाद फिर फोन करता हूँ।

"सब इकट्ठे हो जाते है और 10 मिनट बाद फिर फोन की घंटी बजती है।"

मक्कड़ : वो लोग मेरे साथ है।
अज्ञात : मैं ज़रा उनसे बात करना चाहता हूँ।
मक्कड़ : फोन लाउडस्पिकर पे है, वो तुम्हे सुन रहे है बोलो।

अज्ञात : Good afternoon खोपड़ा साहब। Everything alright.
खोपड़ा : Yeah Dear,everything is fine,just we are handcuffed.
अज्ञात : I will set u free,don’t worry.Just give me your signatures.
खोपड़ा : मई , नवंबर 2010, फक्र है।
बैन : मई , नवंबर 2008, फक्र है।
छगरवाल : मई , नवंबर 2009, फक्र है।
गामानामी :  मई , नवंबर 2011, फक्र है।

अज्ञात : बहुत ही उम्दा काम किया है आपने, मक्कड़ साहब, अब आप इन लोगों को मेरे पास भेज दो।
मक्कड़ : लेकिन तुम इनके साथ क्या करोगे?

अज्ञात : मैं क़मरजीत खोपड़ा, खेद बैन, यू. पी छगरवाल और जी.गामानामी को मारना चाहता हूँ और in fact मेरा ये काम अब आप पूरा करेंगे.
मक्कड़ : माफ करना, मैं कुछ समझा नहीं.
अज्ञात : आप के घर मे साँप आके आपको डसने की कोशिश करता है तो आप क्या करते है? आप उसे पालते नही मारते है. ये चारो साँप मुझे काट रहे थे और आज मैं इन्हे मार रहा हूँ.
मक्कड़ : तुम, तुम हो कौंन?

अज्ञात : मैं वो हूँ जो आज SeeA में रेजिस्ट्रेशन करने से घबराता है। मैं वो हूँ जो परीक्षा देने जाता है तो उसकी माँ को लगता है जंग लड़ने जा रहा है। पता नहीं लौटेगा या नहीं। हर परीक्षा के बाद पूछती है, बेटा चाय पी के नहीं, बेटा सोया के नहीं, दरअसल वो ये जानना चाहती है के मैं ज़िंदा रहना चाहता हूँ या नहीं. मैं वो हूँ जो कभी ITSM मे फँसता है, कभी Cost-FM मे| मैं वो हूँ जो किसी के हाथ मे RTP देख के शक करता है और मैं वो भी हूँ जो आजकल सोने से घबराता है। फाइनल का पंजीकरण कराता है तो सोचता है के किताबें Institute की पढूँ या प्राइवेट, कहीं परीक्षा मे प्राइवेट किताबों के शब्द देख कर मुझे Fail ना करदें. झगड़ा Institute और Coaching Class वालो का हो, पर पिसता हमेशा मैं ही हूँ। लक्ष्मी नगर की भीड़ तो देखी होगी ना आपने,उस भीड़ मे से कोई एक चेहरा चुन लीजिए मैं वो हूँ। I am just a Common SeeA Student wanting to clear his Exams.

मक्कड़ : आज अचानक ये Common SeeA Student कैसे जाग गया वो भी 4 लोगों की मौत के फरमान के साथ।

अज्ञात : क्यूँ, जाग गया तो तक़लीफ़ हो रही है। ज़िंदगी भर पढ़ पढ़ के Fail होते रहना चाहिए था मुझे। और ये अचानक नही हुआ है मक्कड़ साहब, यूँ समझिए की टाइम नही मिला। CPT, IPCC के चक्कर मे ये काम ज़रा Neglect हो गया। पर देर आए आए दुरुस्त आए। ये चारो साँप आज ही मरेंगे।

मक्कड़ : ये चार ही क्यों, और भी तो है।
अज्ञात : मैने लॉटरी निकाली इन चारो का नाम निकल आया।
मक्कड़ : मतलब तुम ये कह रह हो की अगर हमने इन चार लोगों को नही मारा तो ना जाने कितने बेगुनाह SeeA Students को तुम मार दोगे।

अज्ञात : अरे वो लोग तो वैसे भी मरेंगे मक्कड़ साहब। आज नही तो कल, और छगरवाल जैसे लोग ही मारेंगे उन्हे. पिछली बार IPCC मे मारा था इस बार फाइनल मे मारेंगे। और तब तक मारते रहेंगे जब तक हम इन्हे
जवाब देना नही सीखेंगे।

मक्कड़ : तुम हो क्या?
अज्ञात : मतलब?
मक्कड़ : मतलब CPT स्टूडेंट हो फाइनल स्टूडेंट हो, क्या हो?
अज्ञात : मेरी स्टेज का इससे कुछ लेना देना नही है.
मक्कड़ : लेना देना है|
अज्ञात : मैने कहा ना I am just a Common SeeA Student.
मक्कड़ : Common SeeA Student.
अज्ञात : जी।
मक्कड़ : तुम्हे डर लग रहा है, पकड़े जाने का मारे जाने का।
अज्ञात : शायद।
मक्कड़ : Be Specific, हाँ या ना।
अज्ञात : हाँ।
मक्कड़ : तो फिर ये डर याद रखना,और ये मत समझना के Common SeeA Student का झंडा दिखा के तुम
बच जाओगे. तुम जो साबित कर रहे हो ना वो…

अज्ञात : मैं साबित कुछ नही कर रहा, मक्कड़ साहब। मैं सिर्फ़ आपको याद दिलाना चाहता हूँ के छात्रों मे गुस्सा बहुत है उन्हे फेल करना बंद करिए। We are resilient by force,not by choiceIPCC पास करने मे मुझे सिर्फ़ 4 हफ्ते लगे। आपको क्या लगता है कि जो लोग हमें फेल करते है वो हमसे ज़्यादा इंटेलिजेंट है। अरे इंटरनेट पे SeeA टाइप करके सर्च मारिए, 352 साइट्स मिलेंगे की SeeA कैसे बनते है, कौन कौन सी किताबे पढनी पड़ती है। सारा Information आसानी से Accesible है वो भी मुफ़त मे। आप जानते है की शर्मा जी की किताब एक Potential पेपर होता है। हैं। मुझे लगता है के एक Common SeeA स्टूडेंट के लिए इससे ज़्यादा Useful Product आज तक नही बना। ग़लती हमारी है, हम बहुत जल्दी Use to हो जाते है। एक ऐसा रिज़ल्ट आता है तो SeeAClubindia पे sad story पढ ली, फोन करके सबकी खैरीयत पूछ ली, शुकर मनाया के हम लोग पास हो गये और फिर हम उस situation से लड़ने की बजाय उसके साथ adjust करना शुरू कर देते है। पर हमारी भी मजबूरी है ना, हमे SeeA बनना होता है साहब। इसीलिए हम प्रेसीडेंट चुनते है, ताकि वो इन रिज़ल्ट्स पर रोक हटाए। आप लोग, बोर्ड ऑफ स्टडीस, सक्षम है इस तरह के पेस्ट कंट्रोल में लेकिन आप लोग कर नही रहे है. सिर्फ़ शय दिए जा रहे है| हैं। Why are you not nipping them in the butt? एक आदमी गुनहगार है या नही ये साबित करने मे आपको सालो लग जाते है| आपको नही लगता ये आपकी काबिलियत पर एक सवाल है| ये सारा नाटक बंद होना चाहिए| This whole bloody system is fraud. अगर आप लोग इन सांपों का सफ़ाया नही करेंगे तो हमे लाठी उठानी पड़ेगी, लेकिन क्या है कि इससे हमारी सिविलाइज़्ड सोसाइटी का बैलैंस बिगड़ जाएगा, लेकिन क्या करे। मक्कड़ साहब मुझे यकीन है की जो रिज़ल्ट खराब हुए वो सिर्फ़ एक Presidential Activity नही थे| वो एक बहुत बड़ा सवाल था और वो सवाल ये था के भैया हम तो तुम्हे ऐसे ही फेल करेंगे, तुम क्या कर लोगे। Yes,they asked us this question, in November 2009, repeated it in May 2011, i am just replying in 2018.

मक्कड़ : तुम्हारी ये homemade add suspense account to match asset liability वाली philosophy ग़लत है. ये सही तरीका नही है|
अज्ञात : हाँ जनता हूँ पर मैं आज तरीके के बारे मे नही नतीजे के बारे मे सोच रहा हूँ।
मक्कड़ : तुम्हारे किसी जान पहचान वाले ने खुद खुशी की थी क्या इस अटेंप्ट मे?

अज्ञात : क्यूँ, मुझे उस दिन का इंतज़ार करना चाहिए जब मेरा कोई अपना बेवजह इस तरह की ज़लील मौत मरे, तब मेरा ये कदम आपको जायज़ मालूम होगा। हाँ जानना ही है तो सुनिए। मेरा अपना कोई था इस अटेंप्ट मे। 20-21 साल का था। नाम नही जनता मैं उसका। हर अटेंप्ट मे मिलता था, दूसरी रो मे बैठ कर, मुस्कुरा कर हाथ हिला कर मुझे बेस्ट लक कहता था, मैं भी उसे बेस्ट लक कहता था. ऐसे बहुत सारे लोग थे जिन्हे नाम से नही जानता था सिर्फ़ बेस्ट लक से ही जानता था। खुद खुशी से एक अटेंप्ट पहले उसने मुझे अपनी IPCC ग्रूप 1 की पासिंग Marksheet दिखाई थी। He was very happy. अगले अटेंप्ट मैं पास हो गया, मैं बच गया, पर वो नही बच पाया। उसके बाद जब मैं अटेंप्ट देने गया तो मेरी जान पहचान का कोई नही था वहाँ पे,सब नये चेहरे थे।

मक्कड़ : तो ये सब तुम उन पुराने चेहरो के लिए कर रहे हो?

अज्ञात : नही नही नही, मैं इतना भी सेंटिमेंटल या एमोशनल नही हूँ, मक्कड़ साहब, I always knew what
loss is.अपनो को फेल होते हुए देखा है मैने। पर साहब ये Acceptable नही है। कोई चू, pardon my
language, लेकिन कोई चू आदमी मेरे लिए slashing कर के ये फ़ैसला नही करेगा के मुझे कब SeeA बनना है. उन्हे फक्र है, मई 2009 पे, नवम्बर 2007 पे, पूरे 2011 पे, गुजरात, दिल्ली, रोहतक, कश्मीर पे, मुझे फक्र है खुद पे के मैं इन जैसे लोगों को मार रहा हूँ। मैं कोई मसीहा नही हूँ, और ये मैं किसी के लिए नही सिर्फ़ अपने लिए कर रहा हूँ। मैं चाहता हूँ के मेरा बच्चा जब SeeA का फॉर्म भरे तो बेखौफ़ पास हो, किसी मे भी, CPT मे, IPCC मे, फाइनल मे, किसी मे भी|

मक्कड़ : मैं तुम्हे समझ नही पा रहा हूँ?
अज्ञात : क्यूकी मेरी reasons और मेरी demands बड़ी अजीब सी है ना।
मक्कड़ : शायद?
अज्ञात : Be definite, हाँ या ना?
मक्कड़ : हाँ।

अज्ञात : वो लोग मेरे जैसे दो सौ को मारे तो ठीक, मैं उन जैसे सिर्फ़ 4 को मारूँ तो ये अजीब सा है। हैं। आपकी ग़लती नही है, आम SeeA स्टूडेंट से यही उम्मीद की जाती है, के आम SeeA स्टूडेंट की तरह परीक्षा मे बैठो, आम SeeA स्टूडेंट की तरह फेल हो। अपने आप को ही देख लीजिए, जब तक आपको पता नही था के मैं कौन हूँ, आप मुझसे डर भी रहे थे, मुझे seriously भी ले रहे थे| अब मैने आपको बता दिया के मैं कौन हूँ तो आपकी आवाज़ मे अचानक एक कॉन्फिडेन्स आ गया. शायद आप ये भी सोच रहे होंगे के अच्छा, terrorist नही है, आम SeeA स्टूडेंट है, फिर तो मैं फेल कर दूँगा।

मक्कड़ : नही ऐसा नही है।
अज्ञात : ऐसा ना ही हो तो अच्छा है।
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Thursday, July 21, 2011

A Tribute to the Blastees - हाल-ए-दिल


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एक बंदा जो अभी सिर्फ़ 24 साल का था और इन ज़ालिम धमाको मे मारा गया... 
समझो ये उस ही ने लिख के मुझे भेजा:::???



ए काश काश ना यूँ होता, मुंबई मे ब्लास्ट फिर ना यूँ होता,
शोर क साथ, दिल ना यूँ रोता, परिवार बच्चे ना यूँ खोता,
धमाका हो ऐसा ही धमाका, अब हर दिन है लगता, 
नज़ारा ना मिले ऐसा, ही नज़ारा, ये दुआ हूँ मैं करता,
हाल-ए-दिल किसको सुनाता, दिल अगर ये बोल भी पाता, बता खुदा तू क्या है चाहता हाँ,
चैन से दो पल बिताता, छोटी उमर मे ना जान गँवाता, परिवार मेरा भी मुस्कुराता हाँ...

मा-बाप की आँख का मैं तारा, मुझे आतंकवाद ने है मारा,

हमने सरकार को बनाया, हमारी सुरक्षा कोई क्यूँ नी बनारा,
मरना तो कसाब चाहिए था, पर उसके बदले मैं क्यूँ मर गया..
हाल-ए-दिल किसको सुनाता, दिल अगर ये बोल भी पाता, बता खुदा तू क्या है चाहता हाँ,
चैन से दो पल बिताता, छोटी उमर मे ना जान गँवाता, परिवार मेरा भी मुस्कुराता हाँ...

ख्वाबों मे भी नही सोचा था, ऐसा भी कभी कुछ होना था,

किया तो सबका ही भला था, होना क्या मेरे साथ ही बुरा था
मन को समझाउँ किस तरह, इसपे मेरा बस नही चलता हाँ...हाँ...
हाल-ए-दिल किसको सुनाता, दिल अगर ये बोल भी पाता, बता खुदा तू क्या है चाहता हाँ,
चैन से दो पल बिताता, छोटी उमर मे ना जान गँवाता, परिवार मेरा भी मुस्कुराता हाँ...

Wednesday, June 22, 2011

Some touched her


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18.06.2011                                                                21.26 pm
At 9.26, I got out of my guest house as usually I do to reach IFFCO chowk before 10. I was fortunate today to reach there at 9.43 as I got lifted by a biker over the walking distance &
then yet another biker to cover the distance where auto waits too much. Thanks to both of them. I called the senior then to ask about cab status who replied 20 minutes to reach me.
So I waited sitting under the flyover on the stony area near the park enjoying music in my ear. While I was watching the scenic beauty of the smoke pumping out of the royal cars & big Tata buses & tiny two wheelers, my eyes stopped at a peel of banana lying directly before me @ 90° degree. A 1st thought came that I should pick it up & throw her in the park’s dustbin but heart stopped me saying ‘Stop, let’s see does this bother anybody? And if it doesn’t, I will throw her before going.’
Pedestrians crossing road came in touch with her, some even eye-contacted her, some just had their foot over her getting little slider in front. But nobody bothered. I don’t know why they were ignoring her? Maybe they don’t love the earth they are walking on or maybe they don’t love their life gifted to them by their real god (parents) because if someone in hurry had their foot over her & fall down, the vehicle behind them may not be able to stop at such a short notice as its NH-24, they are gone.
The rest 15 minutes were spent thinking that there must be at least one good human being living on this great land who could spare a billion dollar minute of his lifetime to stop here & save others life. But all the pressure on my tiny unused good for nothing mind goes in vain as nobody stopped there.
The pressure was released when my phone rang up for a miss call. I ran towards the starting of the flyover as the cab takes me from there. As it’s not possible to stop at the flyover for long & with the fear that cab may leave me sighing there, I ran faster. Phewww, I got it.
After 2 minutes of relaxation, I slapped myself as I realized that I had left her their only for which I was cursing others. So, finally she remained there in the hope of getting picked up.
I got back from the office @ 18.39 & went to the same place & kept her at her designated place. Finding her there was a moment of joy as I laughed at my country’s people who are miserably educated with all the responsibilities that of a President.

Wednesday, June 15, 2011

C.A Version Of 3 idiots


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सारी उम्र हम मर मर के जी लिए, इक पल तो अब हमे जीने दो, जीने दो
It’s the C.A. version
सारी C.A. हम training कर के जी लिए, इक आधा महीना अब हमे, छुट्टी लेने दो, लेने दो,
सारी C.A. हम training कर के जी लिए, इक आधा महीना अब हमे, छुट्टी लेने दो, लेने दो,
ना ना न ना, ना ना ना न न ना, ना ना न ना, ना ना ना न न ना,
Give me your balance sheet, let me refresh my brain, I will surely calculate your BP’s profit and gain
Give me your balance sheet, let me refresh my brain, I will surely calculate your BP’s profit and gain

कंधो को ITR से भरे bag ने झुकाया, रिश्वत देना तो खुद C.A. ने सिखाया,,
50% marks लाए तो पहनो C.A. वाली घड़ी, वरना अपनी ज़िंदगी इस मई - नवंबर attempt मे ही अड़ी..
Audit कर कर के हुआ दिमाग़ पे asset liabilities का बोल बाला,
उपर से C.A. institute ने transfer के rules को भी बदल डाला..
Stipend तो गया, अब ये transfer भी गयी, इक आधा महीना अब हमे, छुट्टी लेने दो, लेने दो,
Stipend तो गया, अब ये transfer भी गयी, इक आधा महीना अब हमे, छुट्टी लेने दो, लेने दो,

सारी C.A. हम training कर के जी लिए,  इक बार तो अब हमे C.A बनने दो बनने दो….
ना ना न ना, ना ना ना न न ना, ना ना न ना, ना ना ना न न ना,
I’ll get salary, I’ll get D.A., I’ll earn rupees 1 lacs, when I will be a C.A.
I’ll get salary, I’ll get D.A., I’ll earn rupees 1 lacs, when I will be a C.A.
ना ना न ना, ना ना ना न न ना, ना ना न ना, ना ना ना न न ना,
ना ना न ना, ना ना ना न न ना, ना ना न ना, ना ना ना न न ना,

India wins the World Cup - क्या भारत को सुधार की ज़रुरत है या


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ये बात मेरे छोटे से शहर रोहतक की है. पता नहीं बाकी जगहों पर क्या आलम था.
कुछ तो करना होगा









सब खुश है के भारत विश्वविजेता बना. मुझे भी खुशी है पर क्या इससे कुछ बदलाव आएगा. उसी पर पेश है एक कविता.
होली दीवाली सब थी मनाली
सिगरेट दारू भी थी चढ़ाली
चारों तरफ हर्ष ओ उल्लास था
फिर भी ना जाने क्यूँ दिल ये उदास था
पूछी मैने उससे वजह इस उदासी की
वजह निकली वही पुरानी और बासी सी
इस जीत को लेकर सभी बहुत प्रसन्न है
पर असली भारत की तस्वीर पर सभी सन्न है
क्यूँ मचता हर छोटी बात पर बवाल है
इसी सिलसिले मे निपुण पूछता आपसे कुछ सवाल है
क्या कभी उन मजदूरो को भी चाय पे बुलाया जाएगा
जिनकी वजह से भारत बनता आया है और बनता चला जाएगा
क्या 1 करोड़ का 1 करोड़वा हिस्सा भी उस किसान को मिल पाएगा
जिसने भूख मिटाई है सबकी और आगे भी मिटाएगा
क्या राजा जैसे मंत्री 2जी स्कॅम करने से पहले सोचेंगे
क्या फिर राठौड़ जैसे आलाकमान मासूम बच्चिओ को नही नोचेंगे
देश की साख दाव पर लगाने वाले कलमाडी पैदा होने बंद होंगे
या मोदी वाले घपलो से भारत ही बंद होंगे
क्या अन्ना जैसे लोग जनचाहा बदलाव ला पाएँगे
या शासन हथियाए लोग मनचाहा ही करते जाएँगे
क्या गली मे लड़ने वाले गुणडो को कोई समझाएगा
के वो देश क लिए लड़े तो शहीद कहलाएगा
क्या फिर कभी हिंदू मुस्लिम दंगे नहीं होंगे
1984 की तरह लोग फिर से नंगे नहीं होंगे
कभी अपनी इज़्ज़त की छोड़ के,दूसरे की इज़्ज़त के लिए भी लड़ पाएँगे
क्या सोने की चिड़िया के वो स्वर्ण पर फिर से उग जाएँगे
भगत सिंह की कल्पना जैसा भारत क्या कभी बनेगा
जहाँ एक हिन्दुस्तानी दूसरे से नही दूसरे के लिए लड़ेगा
क्या ऊंची नीच का फ़र्क कभी यहाँ ख़त्म होगा
या 21-12-12 को सारी दुनिया के साथ भारत भी भस्म होगा
इस 121 करोड़ की आबादी के लिए क्या कोई और भगवान उतर के आएगा
या चुनी गयी सरकार और उसका अँधा क़ानून ही इस देश का भविष्य बनाएगा
क्या इस कविता को पढ़ने के बाद आपमे कुछ बदलाव आएगा
या यही सोचेंगे क ये तो पागल है बोलता ही जाएगा
क्या भारत का ये युवा, भारत को सर्वश्रेष्ठ बनाएगा
या देश क सुधार के लिए दूसरो से ही उम्मीदें करता जाएगा
क्या उसे समझ कभी अपना उत्तरदायित्व भी आएगा
या दूसरो को गाली देकर ही वो अपना काम चलाएगा
बचपन मे सुना था अकेला चना भाड़ नही फोड़ सकता
और यही सोच के आज कोई शुरुआत नहीं करता
पर सागर तो बूँद-बूँद से ही भरता है
ये क्यूँ तू नहीं समझता है
मेरी समझ मे एक बात है आई
अकेले से बहुत कुछ होता है भाई
अब से मैं हर ग़लत का विरोध करूँगा
और आप भी समझे ये बात ये उम्मीद करूँगा
मैं नहीं चाहता के इस कविता से आपकी खुशी मे कमी हो
पर कुछ खुशी उनके साथ भी बाँटो जिनकी आँखो मे सालो से नमी हो

Monday, July 19, 2010

Hum C.A ho gye-My best creation



Bachpan me hi mari gayi thi mat,
10th k baad hi bhar dia tha C.A ka form,
kehte the sabko hum C.A banenge,
dikhayenge tumko hum h bookworm...

Zindagi jine wale aadmi, hum bina jiye hi ho gye,
Mummyji Papaji mubarak ho hum C.A ho gye :-)

dhire dhire kati 11th, kisi tarah 12th me aye,
Debit credit kya hote h, koi to humko bhi ye bataye,
Final accounts h kis bala ka naam, koi to ho jo ise samjhaye,
Mummy kehti h padlo beta, koi unhe hamara dard to sunaye...

Pehle sapne me aate the ladkio k khawab,
ab aate h accounts k questions wo bhi without jawab,
In sabse darr kar jab nind me uthta hu,
kya yahi h zindagi is baat ko sochta hu...

Aa gya January exams h paas, jisme pass hone ki mujhe koi nhi h aas..

Aas kaise hogi kyuki 2 mahine to hume padai kiye ho gye,
Mummyji Papaji mubarak ho hum C.A ho gye :-)

March me diye exams, wo bhi without tayari,
Result ki chinta kise h, ab march k baad h june ki baari,
Socha tha 2 mahine hogi aish, gf k sath udaenge papa ka cash,
Par C.A banne ka junoon tha chaya, CPT exam ne kaha le main aaya,
CPT ek khatra sath me laya, khatra tha negative marking ka saaya,
Kabhi quantitative aptitude ne sataya, kabhi business law ne sataya,
Phir to june ka mahina aaya, Aur mere mann me bhi ek darr sa samaya...

Par kismat ne aisa khel khela, 20 bache the tution pe,par reh gya main akela...

Dil aisa tuta ke sharabi to hum bina piye hi ho gye,
Mummyji Papaji mubarak ho hum C.A ho gye :-)

Jo bhi hua wo tha ek accident, ek mahapurush ne aisa keh k khilayi hume chlormint,
Chlormint ne kia hme cool, aur wo bole sun bhyi fool,
wahi josh rakh aur wahi rakh junoon..wahi josh rakh aur wahi rakh junoon,
As you know ki june k bad december aur december ke bad june...

Phir maine kiya unse ek wayda,
Aur samajh gaya main ki C.A. first attempt me karne ka kuch khas nahi hai fayda,
Interesting hai subjects 2-3 bar chahiye inhe padna,
Par papa ne bhi keh diya, agli bar fail huye to dukan par hi padega baithna,
Irade unke bhi the pakke, to socha kyu na mar de 6 gendo par 6 chakke,
Chak k ki padai aur chak diye phatte, Papa bhi bole 'I am proud of you bete',
Unke ye lafz dil ko chu gaye, puri mehnat ki to IPCC ke group one me bhi pass ho gaye...

Dosto ne yad dilaya ke kitne din tujhe party diye ho gye,
Mummyji Papaji mubarak ho hum C.A ho gye :-)

Result aane se pehle I.T training puri karni thi jaroori,
Sath hi orientation programme pura karna bhi tha majburi,
Paaji ne kaha tere aur CA degree ke bich kaisi hai ye duri,
thodi mehnat ki to ye dono bhi ho gayi poori...

Phir jaise hi aaya IPCC Group-1 ka result,
SAbhi aalochana karne wale reh gaye dang,
Par unki chinta kise thi,
Chinta ka vishaya to tha 3 saal ki articleship ki jang...

Socha tha aage ki rah hai aasan,
Par C.A. dhundne ka kaam bhi tha mahaan,
MUmmy Papa khush the hamara ladka bhi office jayega,
par yahan unke ladke ki nikal rahi thi jaan...

10-15 Din mehnat ki mehnat to ek C.A. mil gaya,
Insan ho wo acha dil ne ki ye dua ,
FIr kisi ne bataya, C.A. bante-2 sari achai nikal jati hai ,
Aur C.A. ko apne article ki koi baat nahi bhati hai...

Phir shuru hua kadi mehnat ka daur, kaam karte pata hi nahi chalta,
kab hoti hai raat aur kab aa jati hai agli bhor,
Kismat bhi aisi kharab hai ki,
sab kam karne par bhi puchna padta hai 'sir kuch aur'...

Isi bich aaye IPCC group-2 ke exams,
uske subjects ki tayaari karna hai asaan sa kaam,
Aur yelo iska result bhi aa gaya ,
main pass hua aur mera bhi ho gaya naam...

Stipend hai matra rupaye hazaar,
Phir bhi unka phone aata hai baar-baar,
Request karta hu ek chutti ki,
To kehte hai'aaj kaam hai phir kabhi le liyo yaar'...

GF se ho gayi ladai,
Mujhe chutti jo nahi mil payi,
kehti hai raksha bandhan paas aa raha hai,
ab to aap bas ban jao mere bhai...

Ab aapko kya bataye,uske bhai to hum bina kuch kiye hi ho gaye,
Mummyji Papaji mubarak ho hum C.A ho gye :-)

Bunk to school se bhi kata tha,
par usse jyada bunk ab ofice se karta hu,
Pehle ghumne jaata tha dosto ke saath,
par ab padai,padai aur sirf padai karta hun...

Bachpan me kya hota tha,ki padte hue nind aa jati thi,
par ab to nind me bhi padna padta hai,
Papa kehte hai tu C.A banke to dikha,
par unhe kya pata C.A. banne ke liye kya-2 karna padta hai...

AB to bas training khatam hone ko ayi h,
2 sal bit gye 1 sal ki aur ladai h,
Training k akhri 6 months me hi dedo final k dedo exams,
ICAI ne bhi kya policy banayi h...

Reh gya h sirf final exams ka bojh,
dono group ki taiyari me 18 ghante padna padta h roj,
Dil ko samjhata hu padne de pagal,
kyuki C.A banne k baad h mauj hi mauj...

Taiyari karte ho rahi h halat kharab,
zindagi banti ja rahi h ek sawal jiska koi nahi h jawab,
Life ho gyi h out of control,
C.A hone k bawjood bhi nhi laga pa raha hu iska hisab...

Kal paper h aur mujhe kuch nhi h aata,
Dar h kisi tarah bhi nhi h jata,
Kya karu mujhe koi ye bhi nhi batata,
is bar to lagta hai C.A n hi ban pata...

Jaisa socha tha hua uske ekdum viprit,
Paper itne aasan aye k laga main gya jit,
A/Cs,Law,Audit aur FM aye ekdum easy,
DT,IDT,Cost aur MICS me bhi hua yehi sab repeat...

Exams to ache bina zyada mehnat diye hi ho gye,
Mummyji Papaji mubarak ho hum C.A ho gye :-)

Ye C.A h uncertainity ka khel,
1 group pass ho gya 60% se,aur ek me ho gya main Fail,
Mumy kehti h tu nalayak h,
Sir pe lagaya ka badam wala tel...

Ek to mumy k in shabdo ne mere dil ko chua,
upar se sabne bari-bari aakar pucha,kya hua-kya hua,
Ab to zindagi ban gyi h ek jua,
kuch hua to hua,nhi hua to nhi hua,
Is bar to C.A ban hi jau,
yaron sab milkar karo ye dua...

2 saal 9 mahine me hi karli office se tauba,
kyuki sir pe tha final exams ka force,
Akhri 3 mahine ki training ki chinta nhi h,
kyuki use pura karayega 3 months wala residential course...

Par usse pehle h exams ka darr,
jiski wajah se main har roz raha hu marr,
Ab aya hu rabba tere paas,
is attempt ka to tu hi kuch kar...

Exams khatam huye aur main pahuncha karne residential course,
Yahan par hai duniya bhar ki knowledge ka pura source...

Subah me yoga,din me lecture aur ek professional ki tarah bolna sikhte h,
yahan k teachers isiliye har kisi ko pasand ate h,
cricket,tennis aur national game hockey bhi khilate h,
aur khana bhi kya lajwaab banwate h...

C.A karne k chakkar me maine regular college nhi kia,
par in 3 mahino me maine us college ko jia,
Isi bich result aya aur sabhi ne muje cheer up kia,
Aur party le le k papa k bank balance one-third kia...

C.A bante hi asisa laga,k hum kul k dipak aur aasman me chamakte ek diye ho gye,
Mummyji Papaji chachaji masiji buaji dadaji, mubarak ho hum C.A ho gye :-)

Campus placement me maine job ko paya,
ek mahine me 50000 rupayo ko kamaya,
muje mila mann ka sukoon aur dunia ka sammaaan,
aur maine apni mari gyi mat wali bat ko galat thahraya...

Zindagi jin wale admi ab to hum puri tarah jike hi gye,
Mummyji Papaji mubarak ho hum C.A ho gye :-)

Wednesday, July 14, 2010

An excerpt


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‘What’s your caste?’ Ishit asked. ‘What’ I said, ‘you believe in these craps.’
‘It isn’t crap.’ he said ‘You must have born in a caste no? So tell me who you are?’
‘I am an Indian. No, actually I am a human.’ ‘That’s what I am.’
‘So what’s the problem? Why you want to know which caste I belong to? Isn’t it enough that I am a human being & your friend? Haven’t you seen krantiveer?’ I asked.
‘Is it a movie’ he questioned. ‘Yes, of course it’s a movie & I love its one dialogue said by nana patekar that if I take a bit of your blood & some of mine & mix it, can you identify which drop is yours? Oh no, you can’t? When god hasn’t made any difference, who are we to classify ourselves as Hindu, Muslim or Sikh?’ I explained him in the tone of scolding.
‘It’s true.’ He said after 2 minutes, ‘I am very sorry. I will never ask it from anybody as we all are the same. Same ears, Same eyes, Same blood, Same everything.’
‘Don’t be sorry but promise that you will never say sorry for this thing to anybody again.’ I said as I tried to console him. ‘I promise’ he said.
‘And what will you say when anybody ask you your caste.’ ‘A human being.’
‘A good human being instead’ I said as I hugged him & he broke into tears.
‘Don’t cry. You are not Katina. Grow up baby.’ And he laughed probably because I bring Katina in our talks… :/

Sunday, July 4, 2010

Gyan ki batein


Sapne dekhna koi buri bat nhi h.
Buri bat h un sapno ko poora karne k liye mehnat na karna.
So ask urself "Zindgi dubara hai kya" & considering d facts dat "LYF IS ONCE",
Dont let dis day pass widout doing smthing 2 make ur dreams come true.........