Thursday, July 21, 2011

A Tribute to the Blastees - हाल-ए-दिल


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एक बंदा जो अभी सिर्फ़ 24 साल का था और इन ज़ालिम धमाको मे मारा गया... 
समझो ये उस ही ने लिख के मुझे भेजा:::???



ए काश काश ना यूँ होता, मुंबई मे ब्लास्ट फिर ना यूँ होता,
शोर क साथ, दिल ना यूँ रोता, परिवार बच्चे ना यूँ खोता,
धमाका हो ऐसा ही धमाका, अब हर दिन है लगता, 
नज़ारा ना मिले ऐसा, ही नज़ारा, ये दुआ हूँ मैं करता,
हाल-ए-दिल किसको सुनाता, दिल अगर ये बोल भी पाता, बता खुदा तू क्या है चाहता हाँ,
चैन से दो पल बिताता, छोटी उमर मे ना जान गँवाता, परिवार मेरा भी मुस्कुराता हाँ...

मा-बाप की आँख का मैं तारा, मुझे आतंकवाद ने है मारा,

हमने सरकार को बनाया, हमारी सुरक्षा कोई क्यूँ नी बनारा,
मरना तो कसाब चाहिए था, पर उसके बदले मैं क्यूँ मर गया..
हाल-ए-दिल किसको सुनाता, दिल अगर ये बोल भी पाता, बता खुदा तू क्या है चाहता हाँ,
चैन से दो पल बिताता, छोटी उमर मे ना जान गँवाता, परिवार मेरा भी मुस्कुराता हाँ...

ख्वाबों मे भी नही सोचा था, ऐसा भी कभी कुछ होना था,

किया तो सबका ही भला था, होना क्या मेरे साथ ही बुरा था
मन को समझाउँ किस तरह, इसपे मेरा बस नही चलता हाँ...हाँ...
हाल-ए-दिल किसको सुनाता, दिल अगर ये बोल भी पाता, बता खुदा तू क्या है चाहता हाँ,
चैन से दो पल बिताता, छोटी उमर मे ना जान गँवाता, परिवार मेरा भी मुस्कुराता हाँ...

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