Wednesday, June 15, 2011

India wins the World Cup - क्या भारत को सुधार की ज़रुरत है या


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ये बात मेरे छोटे से शहर रोहतक की है. पता नहीं बाकी जगहों पर क्या आलम था.
कुछ तो करना होगा









सब खुश है के भारत विश्वविजेता बना. मुझे भी खुशी है पर क्या इससे कुछ बदलाव आएगा. उसी पर पेश है एक कविता.
होली दीवाली सब थी मनाली
सिगरेट दारू भी थी चढ़ाली
चारों तरफ हर्ष ओ उल्लास था
फिर भी ना जाने क्यूँ दिल ये उदास था
पूछी मैने उससे वजह इस उदासी की
वजह निकली वही पुरानी और बासी सी
इस जीत को लेकर सभी बहुत प्रसन्न है
पर असली भारत की तस्वीर पर सभी सन्न है
क्यूँ मचता हर छोटी बात पर बवाल है
इसी सिलसिले मे निपुण पूछता आपसे कुछ सवाल है
क्या कभी उन मजदूरो को भी चाय पे बुलाया जाएगा
जिनकी वजह से भारत बनता आया है और बनता चला जाएगा
क्या 1 करोड़ का 1 करोड़वा हिस्सा भी उस किसान को मिल पाएगा
जिसने भूख मिटाई है सबकी और आगे भी मिटाएगा
क्या राजा जैसे मंत्री 2जी स्कॅम करने से पहले सोचेंगे
क्या फिर राठौड़ जैसे आलाकमान मासूम बच्चिओ को नही नोचेंगे
देश की साख दाव पर लगाने वाले कलमाडी पैदा होने बंद होंगे
या मोदी वाले घपलो से भारत ही बंद होंगे
क्या अन्ना जैसे लोग जनचाहा बदलाव ला पाएँगे
या शासन हथियाए लोग मनचाहा ही करते जाएँगे
क्या गली मे लड़ने वाले गुणडो को कोई समझाएगा
के वो देश क लिए लड़े तो शहीद कहलाएगा
क्या फिर कभी हिंदू मुस्लिम दंगे नहीं होंगे
1984 की तरह लोग फिर से नंगे नहीं होंगे
कभी अपनी इज़्ज़त की छोड़ के,दूसरे की इज़्ज़त के लिए भी लड़ पाएँगे
क्या सोने की चिड़िया के वो स्वर्ण पर फिर से उग जाएँगे
भगत सिंह की कल्पना जैसा भारत क्या कभी बनेगा
जहाँ एक हिन्दुस्तानी दूसरे से नही दूसरे के लिए लड़ेगा
क्या ऊंची नीच का फ़र्क कभी यहाँ ख़त्म होगा
या 21-12-12 को सारी दुनिया के साथ भारत भी भस्म होगा
इस 121 करोड़ की आबादी के लिए क्या कोई और भगवान उतर के आएगा
या चुनी गयी सरकार और उसका अँधा क़ानून ही इस देश का भविष्य बनाएगा
क्या इस कविता को पढ़ने के बाद आपमे कुछ बदलाव आएगा
या यही सोचेंगे क ये तो पागल है बोलता ही जाएगा
क्या भारत का ये युवा, भारत को सर्वश्रेष्ठ बनाएगा
या देश क सुधार के लिए दूसरो से ही उम्मीदें करता जाएगा
क्या उसे समझ कभी अपना उत्तरदायित्व भी आएगा
या दूसरो को गाली देकर ही वो अपना काम चलाएगा
बचपन मे सुना था अकेला चना भाड़ नही फोड़ सकता
और यही सोच के आज कोई शुरुआत नहीं करता
पर सागर तो बूँद-बूँद से ही भरता है
ये क्यूँ तू नहीं समझता है
मेरी समझ मे एक बात है आई
अकेले से बहुत कुछ होता है भाई
अब से मैं हर ग़लत का विरोध करूँगा
और आप भी समझे ये बात ये उम्मीद करूँगा
मैं नहीं चाहता के इस कविता से आपकी खुशी मे कमी हो
पर कुछ खुशी उनके साथ भी बाँटो जिनकी आँखो मे सालो से नमी हो

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