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अक्सर ज़िंदगी मुझे पुकारा करती है
पर मैं उसे अनसुना कर देता हूँ
कभी मेरे सामने आके खड़ी भी हो जाती है
पर मैं उसे अनदेखा कर देता हूँ
फिर अक्सर मुझसे रूठ भी जाती है
पर मैं उसे अनमना कर देता हूँ
कभी सोचती है के मेरे दिल मे बस जाएगी
पर मैं उसे अनचाहा कर देता हूँ
बस यही है मेरी ज़िंदगी
जो मुझे छू भी जाती है तो
मैं उसे अनछूआ कर देता हूँ
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